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प्रतियोगिता परीक्षा के लिए कोचिंग इंस्टीच्यूट का सही चयन

प्रतियोगिता परीक्षाओं का स्तर और उनकी प्रकृति चूंकि सामान्य बोर्ड परीक्षाओं से अलग होती है, इसलिए उन्हें पास कर लेना उतना आसान नहीं होता। यह तभी आसान हो सकता है, जब उन परीक्षाओं के लिए आपको बेहतर गाइडेंस यानी कोचिंग मिल रही हो। इस संदर्भ में प्रतियोगिता परीक्षा में सफल होने हेतु कोचिंग करना आज जरूरी हो गया है और इसके लिए हमें कोचिंग इंस्टीच्यूट का चयन करना जरूरी हो गया है।  किसी भी कोचिंग को ज्वाइन करने से पहले वहां का रिजल्ट देखना चाहिए। वहां के एक्स स्टूडेंट्स से बात कर लेना बेहतर रहता है। इससे कोचिंग की सही स्थिति के बारे में पता चलता है। किसी भी कोचिंग के विज्ञापन पर भरोसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि कोचिंग एक प्रोफेशन बन चुका है। प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी हेतु आज अधिकतर कोचिंग इंस्टीच्यूट गुणवत्ता व सफलता की कसौटी पर खरे नहीं उतरे हैं। इन कोचिंग संस्थानों द्वारा सफल प्रत्याशियों की जो लंबी सूची प्रकाशित की जाती है, अधिकांश वह झूठी और भ्रम में डालने वाली होती है। दरअसल इन की बुनियाद ही वैसे लोग रखते हैं, जो कभी खुद प्रतियोगिता परीक्षा के प्रत्याशी रहे होते हैं और असफलता के परिणामस्वरूप तथा बेरोजगारी के आलम में रोजगार पाने हेतु स्वयं कोचिंग इंस्टीच्यूट खोल देते हैं। चूंकि पैसा कमाना इनका मुख्य लक्ष्य होता है।  स्वाभाविक है कि इनका ध्यान गुणवत्ता की तरफ कम लगेगा। कुछ कोचिंग संस्थान चलाने वाले तो प्रत्याशियों को आकर्षित करने के लिए कुछ प्रसिद्ध विद्वानों का नाम अपने संस्थान से जोड़ लेते हैं। ऐसे में एक्सपर्ट विद्वान  कुछ ही स्टूडेंट्स को पढ़ा पाते हैं, शेष वैसे लोग संचालित करते हैं, जिनकी पृष्ठभूमि अफवाहों से बनाई जाती है। कुछ कोचिंग इंस्टीच्यूट अध्ययन सामग्री के नाम पर कुछ अच्छी किताबों के महत्त्वपूर्ण अंश चुराकर इकट्ठा कर लेते हैं या किसी सफल प्रत्याशी के व्यक्तिगत नोट्स खरीदकर उसे स्टडी मैटीरियल के नाम पर छात्रों को दे देते हैं। बेचारा छात्र जब विस्तार से स्वयं गहन अध्ययन करता है तो उसे खुद स्टडी मैटीरियल में विभिन्न पुस्तकों के चुराए गए अंशों का ज्ञान हो पाता है, लेकिन तब तक वह कोचिंग वालों के हाथों लुट चुका होता है। कुछ कोचिंग इंस्टीच्यूट तो पूरा पाठ्यक्रम भी नहीं पढ़ा पाते हैं और कुछ बैच शीघ्रता से खत्म करने के लिए एक दिन में 10 से 12 घंटे तक क्लास आयोजित कर छात्रों पर अनावश्यक बोझ डाल देते हैं। शोषण का यह सिलसिला सिर्फ छात्रों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उसे पढ़ाने वाले शिक्षक भी तथा कथित कोचिंग चलाने वालों द्वारा अकसर मानसिक व आर्थिक शोषण के शिकार होते रहते हैं। कई बार शिक्षकों के बीच प्रतिद्वंद्विता व संघर्ष कराकर उनका आर्थिक शोषण किया जाता है। अतः अविश्वास और ठगी से युक्त और गुणवत्ता से कोसों दूर इन कोचिंग संस्थानों से छात्रों को सदैव सतर्क रहना चाहिए। कोचिंग इंस्टीट्यूट के चयन से पूर्व हमें उक्त बातों पर विचार कर लेना चाहिए, तभी किसी अच्छे संस्थान से सीधा अपना स्वयं संपर्क बनाकर कोचिंग इंस्टीट्यूट का चयन कर लेना चाहिए।

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